नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को मिट्टी में मिला दिया गया है। अवैध रूप से बनी इस इमारत को सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर 28 अगस्त 2022 को रविवार के दिन 3700 किलो के बारूद से जमीनदोज कर दिया गया है। इस अवैध टावर के निर्माण में उपस्थित बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की जितनी बड़ी मिलीभगत रही उतना ही संघर्ष आम आदमी को इस बिल्डिंग को गिराने के लिए करना पड़ा। इस बिल्डिंग का इतिहास 18 साल का है। ट्विन टावर को लेकर आपके मन में भी कई प्रश्न होंगे इनके जवाब आपको नीचे दिए गए हैं -
- • ट्विन टावर के निर्माण की मिलीभगत में शामिल लोगों पर क्या कार्यवाही हुई ?
- • ट्विन टावर का मालिक कौन है?
- • जिन ग्राहकों ने ट्विन टावर में फ्लैट खरीदे थे उनको उनका मुआवजा मिला या नहीं?
- • क्या ट्विन टावर को गिराने का खर्च बिल्डर से वसूला जाएगा ?
- • ट्विन टावर के दौरान जान-मान की हानि हुई तो कौन जिम्मेदारी लेगा?
- • ट्विन टावर गिराने के बाद क्या बनेगा?
- • क्यों गिराई जा रही है बिल्डिंग ?
- • ट्विन टावर को तैयार करने और गिराने में कितना खर्च हुआ?
- • ट्विन टावर को गिराने के बाद धूल मिट्टी का क्या होगा?
- • किस तरह के विस्फोटक का इस्तेमाल किया जा रहा है?
- • कैसे जमींदोज हुआ ट्विन टावर ?
- • किन लोगों ने लड़ी लड़ाई ?
- • सुप्रीम कोर्ट में यह मुकदमा कैसे पहुंचा?
• ट्विन टावर के निर्माण की मिलीभगत में शामिल लोगों पर क्या कार्यवाही हुई ?
नोएडा के सेक्टर 93a में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को अवैध रूप से बनाया गया। इसे बनाने में कई तरह की अनदेखी की गई। किसी के साथ इस बिल्डिंग कोड के निर्माण में बहुत कुछ नजर अंदाज किया गया। इसके निर्माण में सुपर टेक बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी शामिल निकली। जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर पर कार्रवाई की है साथ ही इसमें नोएडा अथॉरिटी के 26 अधिकारियों को शामिल पाया गया है। इसी के साथ इन अधिकारियों पर भी कार्यवाही करने का आदेश आया है।
• ट्विन टावर का मालिक कौन है?
ट्विन टावर को रविवार के दिन ध्वस्त कर दिया गया है। ट्विन टावर का निर्माण सुपर टेक कंपनी के द्वारा कराया गया था। इसके मालिक आरके अरोड़ा हैं। इनकी 34 कंपनियां चल रही हैं, इनकी पत्नी संगीता अरोड़ा के नाम भी कंपनी चल रही है। सुपरटेक लिमिटेड कंपनी 7 दिसंबर 1995 में अनुमानित हुई थी।
• जिन ग्राहकों ने ट्विन टावर में फ्लैट खरीदे थे उनको उनका मुआवजा मिला या नहीं?
नोएडा सेक्टर 93A में स्थित 32 मंजिला ट्विन टावर में 711 लोगों ने फ्लैट खरीदे थे। जिनमें 652 लोगों को उनके रुपए को रिफंड कर दिया गया है, शादी में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। इनमें कुछ लोग ऐसे भी शामिल हैं जिन्होंने इसके बदले में अलग जमीन ले ली थी।
• क्या ट्विन टावर को गिराने का खर्च बिल्डर से वसूला जाएगा ?
सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने में आने वाले खर्च को सुपरटेक बिल्डर से वसूलने के लिए कहा गया है अर्थात ट्विन टावर को गिराने में जो भी खर्च होगा बस सुपरटेक बिल्डर को देना होगा। ट्विन टावर को गिराने में जो खर्चा आएगा 20 करोड रुपए है। जिसमें सुपरटेक बिल्डर 5 करोड रुपए पहले देगा और बाकी के 15 करोड रुपए बिल्डिंग गिरने पर जो मलवा होगा , उससे उसकी भरपाई करेगा।
• ट्विन टावर के दौरान जान-मान की हानि हुई तो कौन जिम्मेदारी लेगा?
ट्विन टावर को गिराने के दौरान आसपास में उपस्थित घर तथा लोगों को यदि हानि होती है, तो इसकी जिम्मेदारी एडिफिस एजेंसी ने ली है। इसके लिए इस एजेंसी में 100 करोड़ रुपए का बीमा कराया है। यदि ट्विन टावर गिराने के दौरान किसी की हानि होती है तो इसकी पूर्ति इन 100 करोड रुपए में से की जाएगी।
• ट्विन टावर गिराने के बाद क्या बनेगा?
नोएडा में स्थित इस ट्विन टावर को गिराने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस जगह पर ग्रीन पार्क बनेगा। साथ ही इस जमीन को उन लोगों में आवंटित किया जाएगा जो लोग वैध रूप से इसके हकदार हैं।
• क्यों गिराई जा रही है बिल्डिंग ?
सुपरटेक बिल्डर द्वारा बनाएगी 32 मंजिला बिल्डिंग ट्विन टावर को अवैध रूप से बनाया गया था। ट्विन टावर को बनाने में बहुत सी चीजें नजरअंदाज की गई तथा इसका निर्माण अवैध रूप से किया गया। इसे बनाने में पार्क की जमीन को भी जप्त कर लिया गया तथा उस पर अवैध रूप से कब्जा किया गया। और इसी के साथ इस बिल्डिंग को 9 मंजिला बनाने की इजाजत दी गई थी लेकिन नोएडा अथॉरिटी तथा बिल्डर की मिलीभगत द्वारा इसकी ऊंचाई को 102 मीटर तथा 32 मंजिला कर दिया गया। इन्हीं सब कारणों से लोगों ने इसके खिलाफ मुकदमा किया और 18 साल बाद उसे जीत गए जिसके कारण इस बिल्डिंग को सुप्रीम कोर्ट ने गिराने का आदेश दिया।
• ट्विन टावर को तैयार करने और गिराने में कितना खर्च हुआ?
ट्विन टावर की ऊंचाई 102 मीटर है तथा यह बिल्डिंग 32 मंजिला है। इस टावर को बनाने में जो खर्च आया है बह 70 करोड रुपए है। वही इस टावर को गिराने में जो खर्च आंका गया है वह 20 करोड रुपए है। जिसकी भरपाई सुपरटेक बिल्डर के द्वारा की जाएगी।
• ट्विन टावर को गिराने के बाद धूल मिट्टी का क्या होगा?
इस 32 मंजिला इमारत को गिराने पर वहां पर धूल मिट्टी कि उड़ने की बहुत अधिक संभावना है।इसके लिए एजेंसी ने पहले से ही वाटर टैंक और मशीनें तैयार कर रखी हैं।जिससे जब भी मलवा और धूल मिट्टी उड़े तो उसे वाटर टैंक के द्वारा कंट्रोल किया जा सके।
• किस तरह के विस्फोटक का इस्तेमाल किया जा रहा है?
ट्विन टावर को धराशाई करने के लिए 37000 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया,जो कि एक प्रकार का माइंस वाला बारूद है। इस बारूद के विस्फोट के द्वारा 32 मंजिला इमारत मात्र 8 सेकंड में धराशाई हो गई।
• कैसे जमींदोज हुआ ट्विन टावर ?
इस टावर को जमींदोज करने के लिए बारूद का इस्तेमाल किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे धराशाई करने के लिए रविवार 28 दिसंबर 2022 का दिन दिया था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2:30 का समय निश्चित किया था। इसके लिए बिल्डिंग से 70 मीटर दूर रिमोट रखा गया रिमोट के दबते ही 8 सेकंड में गगनचुंबी इमारत तबाह हो गई।
• किन लोगों ने लड़ी लड़ाई ?
फ्लैट बायर्स ने 2009 में आरडब्ल्यू को बनाया था। जो कि नागरिकों के संरक्षण के लिए बनाया गया था। अवैध रूप से बने ट्विन टावर के खिलाफ आरडब्ल्यू ने नोएडा अथॉरिटी को सूचित किया,लेकिन नोएडा अथॉरिटी ने उस पर कोई भी सक्रिय प्रक्रिया नहीं दिखाएं तभी आरडब्ल्यू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमा डाला जिसके बाद 2014 में हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया।
• सुप्रीम कोर्ट में यह मुकदमा कैसे पहुंचा?
इलाहाबाद के फैसले के खिलाफ सुपरटेक बिल्डर ने मुकदमा किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को अपना फैसला सुनाया और इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया।
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